(चंद्रहाश कुमार शर्मा )
—चौबीस घण्टे में तीन हत्याएं जिले को थर्रा दी हैं
— शराबियों की पहचान और डिग्गियाँ जांच करना ही है प्रमुखता
— क्राइम ग्राफ नीचे नहीं गिरा, तो लोगों की टूटेगी आस
गोपालगंज। जिले के ग्रह-गोचर कुछ दिनों से ठीक-ठाक नहीं हैं। आये दिन अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर विराजमान है। हत्याओं का दौर तो इतनी रफ़्तार में है कि यहां चौबीस घण्टे में तीन-तीन हत्याएं कर अपराधी पुलिस को ठेंगा दिखाकर फरार होते जा रहे हैं। पहले होमगार्ड जवान को अपराधियों ने मौत के घाट उतारा। फिर, न्यूज़ सबकी पसन्द अख़बार के जिला ब्यूरो प्रभारी शक्ति सिंह को उसके बाद होटल मालिक को। नवागत डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी और एसपी आनंद कुमार के जिले में योगदान करने के तुरंत बाद ही ऐसी घिनौनी साहस अपराधियों के द्वारा की गयी, यह पुलिस-प्रशासन पर सवालिया निशान जरूर बनाता है। चप्पे-चप्पे की हालत यह है कि जहां भी पुलिस को देखिये; बड़ी गाड़ियां व बाइकें रोक केवल शराबियों की पहचान कर रही है तथा डिग्गियां खुलवाकर शराब है कि नहीं, यह जांच कर रही है। बहरहाल, इसमें पुलिस-प्रशासन ही दोषी नहीं, बल्कि मौजूदा सरकार भी दोषपूर्ण है। शराबबंदी 2016 के पहले अप्रैल से लागू हुई थी। औसतन शराबबंदी से किसी की बर्बादी हुई है, तो वह नीचे तबके के लोग हैं; जो दिनभर मजदूरी कर शराब पीने के शराब सार्वजनिक स्थलों पर सोर-शराबा शुरू कर देते हैं। फिर, पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजती है। आगे का आलम यह होता है कि शराबियों की मजबूर पत्नियां या घर के किसी अन्य सदस्य कोर्ट से उन्हें बेल पर वापस घर लाते हैं। शराबबन्दी कानून इतना सख्त होता, तो बड़े पैमाने पर तमाम कारोबारी पकड़े नहीं जाते। इस कानून के नाम पर कारोबारियों खौफ ना के बराबर है। पुलिस हर पल शराबियों और इसके कारोबारियों को दबोचने में ही मस्त-व्यस्त है। ऐसे में बढ़ते अपराध को पुलिस नजरअंदाज कर दे रही है। जब सूबे में शराब का कानून लागू नहीं था, तो इतनी संख्या में पियक्कड़ भी नहीं हुआ करते थे। बन्दी के बाद इस कानून का सबसे बुरा प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ा है। शराब क्या है, पीने के नफे-नुकसान कौन-कौन से हैं; इस फिराक बड़ी संख्या में युवा आबादी शराब की जद में आ गयी है। बीते बुधवार को नवागत पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने क्राइम मीटिंग बुलायी थी। सभी थानाध्यक्षों को एसपी ने टास्क दिया। इस बाबत जिले के लोगों में दहशत व्याप्त है। स्थिति अनुरूप क्राइम पर नियंत्रण यदि नहीं हुई, तो नवागत एसपी से भी लोगों की आस धीरे-धीरे टूटती जायेगी।
